यह जिंदगी नहीं है हमें आप से प्यारी
आप पे फ़िदा है जान हमारी
आखो मैं आशु है तो क्या हुआ हमारे
पर जान से प्यारी है मुस्कान तुम्हारी
मिलना इत्तेफाक था तो बिछड़ना हमारा
नसीब था
उतना ही हम दूर है गये जितने करीब थे
मैं आज तक उनको ढूढ़ता रह गया जिनकी हथेली पे लिखा
मेरा नसीब था !
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